व्यायाम कोरोना समेत अन्य संक्रमणों से बचाने में मददगार, खून के मॉलिक्यूल पर पड़ता है प्रभाव

व्यायाम कोरोना समेत अन्य संक्रमणों से बचाने में मददगार, खून के मॉलिक्यूल पर पड़ता है प्रभाव

सेहतराग टीम

एक नए अध्ययन से इस बात का खुलासा हुआ है कि व्यायाम तत्काल असर करता है और इस दौरान खून में मौजूद हजारों-हजार तत्व कम और ज्यादा होते रहते हैं। इस अध्ययन से साबित होता है कि व्यायाम हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करके कोरोना समेत विभिन्न संक्रमणों से बचाने में मदद कर सकता है। शरीर के मॉलिक्यूल पर व्यायाम के असर से पता चला कि हमारी हर सक्रियता या निष्क्रियता स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। इसके नतीजों के मुताबिक, शारीरिक श्रम अंगों की रासायनिक प्रक्रिया, मांसपेशियों, जीन्स, प्रतिरोधक प्रतिक्रियाओं, ह्दय क्षमता और अन्य अंगों समेत जैविक प्रणाली को बदल सकता है।

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हर व्यक्ति पर अलग-अलग असर

मई में प्रकाशित नए शोध में स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों ने व्यायाम के दौरान बदलने वाले हर मॉलिक्यूल की गिनती की। सौ पुरुषों और महिलाओं के समूह में 40 से 75 साल के 36 एकदम स्वस्थ और नियमित व्यायाम करने वाले प्रतिभागियों को अलग करके उन पर व्यायाम के असर को परखा गया। अन्य प्रतिभागियों की शारीरिक स्थिति अच्छी नहीं थी, कुछ में ब्लड शुगर नियंत्रित थी तो कुछ में इंसुलिन की कमी थी।

रासायनिक प्रक्रिया को रफ्तार

कुछ की संख्या बढ़ी तो कुछ की संख्या घट गई। कुछ तो व्यायाम करते ही सक्रिय हुए, बाद में शांत पड़ गए। कुछ की सक्रियता एक घंटे बाद तक बनी रही या उनकी निष्क्रियता बरकरार रही। इतना ही नहीं मॉलिक्यूल के हर प्रकार में बढ़ोतरी भी व्यापक मात्रा में दर्ज की गई। कुछ शरीर को ऊर्जा और अंगों की रासायनिक प्रक्रिया को रफ्तार देने वाले थे। अन्य मॉलिक्यूल प्रतिरोधक क्षमता, ऊतकों की मरम्मत या भूख से जुड़े थे। एक घंटे के दौरान इन सभी वर्गों के मॉलिक्यूल की सक्रियता में तेजी से बदलाव नजर आया। इनसे शुरुआत में कुछ सूजन बढ़ी और कम भी हुई, शायद सूजन कम करने वाले मॉलिक्यूल के सक्रिय होने से।

17 हजार से ज्यादा मॉलिक्यूल को जांचा

इन सभी के खून के नमूने लेने के बाद ट्रेडमिल पर थककर चूर होने तक दौड़ाया गया। इसके तत्काल बाद,15 मिनट, 20 मिनट, 30 मिनट और 60 मिनट के अंतराल पर खून के नमूने लिए गए. एकदम सुस्त जीवन जीने वाले लोगों के आराम करने से पहले और बाद के भी खून के नमूने लिए गए। इस परीक्षण में शोधकर्ताओं ने कुल 17662 तरह के मॉलिक्यूल के विभिन्न स्तरों की माप की। इनमें से 9815 में व्यायाम के बाद व्यापक बदलाव पाया गया।

व्यायाम के तत्काल असर का खुलासा

शोधकर्ता व्यायाम से मॉलिक्यूल की संरचना और सक्रियता पर असर देखकर हैरान हैं। डॉ. स्नाइडर के मुताबिक, सिर्फ नौ मिनट के व्यायाम से आकाश पाताल का अंतर पैदा हो गया। हालांकि यह शोध छोटा था और एरोबिक व्यायाम का एक सत्र में सिमटा था, इसलिए मॉलिक्यूल पर सतत व्यायाम के असर और सेहत पर दीर्घकालीन प्रभाव के बारे में निर्णायक ढंग से कुछ नहीं कहा जा सकता। फिर भी डॉ. स्नाइडर कहते हैं, इन नतीजों से व्यायाम के व्यापक, तत्काल और व्यक्तिगत प्रभावों का पता तो चलता ही है।

मॉलिक्यूल संगीत बैंड जैसे

स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी में जेनेटिक्स विभाग के अधयक्ष और स शोध में शामिल माइकल स्नाइडर के मुताबिक मॉलिक्यूल की हरकतें किसी बैंड द्वारा पेश संगीत जैसा था। उन्होंने कहा पहले तो ड्रम वाले आए, फिर अन्य वाद्ययंत्र बजाने वाले, उसके बाद सभी इस संगीत में ताल देने लगे। हालांकि स्निडर ने बताया अलग-अलग व्यक्तियों के खून में अलग तरह के मॉलिक्यूल और नकी सक्रियता के स्तर मिले।

ज्यादा इंसुलिन में लाभ

कम इंसुलिन वाले लोगों के खून में मॉलिक्यूल की संख्या कम मिली तो बेहतर ब्लड शुगर नियंत्रण वालों में मॉलिक्यूल की संख्या ज्यादा थी। इससे साफ हुआ कि कम इंसुलिन वाले व्यायाम के फायदे उतना नहीं उठा पाते। हर प्रतिभागी में मॉलिक्यूल का स्तर उसकी शारीरिक चुस्ती के मुताबिक मिला।

 

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